Wednesday, August 20, 2014

शिव-पूजन की संक्षिप्त विधि

शिव-पूजन की संक्षिप्त विधि

सर्वप्रथम भक्तों को चाहिए कि वे पवित्र होकर गणेश पार्वती का श्रद्धापूर्वक, निम्नांकित मंत्रों द्वारा ध्यान करें-
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि सम्प्रभु:। 
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ॥             
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। 
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोअस्तुते ॥ 
तदन्तर हाथ में विल्वपत्र पुष्प, अक्षत, लेकर शिव-पूजन के पूर्व अधिकृत देवताओं का ध्यान सर्वथा करनी चाहिए।
नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय, कुबेर, कीर्तिमुख व नागराज।

शिव-ध्यान : 
           हाथ में विल्वपत्र लेकर श्रद्धापूर्वक भगवान पार्वतीपति का ध्यान करें-

ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं 
रत्नाकल्पोज्जवलङ्ग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम् । 
पद् मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणौर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं। 
विश्वाधं विश्ववन्धं निखिल भयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम् ॥ 
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि श्री साम्ब शिवाय नम: । 
       अर्थात्-चाँदी के पर्वत के समान जिनकी श्वेत कान्ति है, जो सुन्दर चन्द्रमा को आभूषण-रूप धारण करते हैं, रत्नमय अलंकारों से जिनका शरीर उज्जवल है, जिनके हाथों में परशु, मृग, वर और अभयमुद्रा है, जो प्रसन्न हैं, पद् म क आसन पर विराजमान हैं, देवतागण जिनके चारो ओर खड़े होकर स्तुति करते हैं, जो बाघ कि खाल पहनते हैं, जो विश्व के आदि जगत कि उत्पति के बीज समस्त भयों को हरनेवाले हैं, जिनके पाँच मुख और तीन नेत्र हैं, उस महेश्वर का प्रतिदिन ध्यान करें।
शुद्ध जल, गंगाजल अथवा दुग्धादी से निम्न मंत्रो का पाठ करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करें-

1. ॐ नमस्ते रुद्र मन्यव उतो त इषवे नम:।
बाहुम्यामुत ते नम:॥ 
या ते रुद्र शिवा तनृरघोरडपाप काशिनी । 
तया नस्तन्वा शन्तमया गिरिशन्ताभि चाकशीही॥ 
यामिषुं गिरिशन्त हस्ते विभर्ष्यस्तवे । 
शिवां गिरित्र तां कुरु मा हिं सी: पुरुषं जगत् ॥ 
अभिषेकं समर्पयामि श्री साम्ब शिवाय नम:। 
यज्ञोपवित, वस्त्र आदि निम्न मंत्रें द्वारा समर्पित करें।

2. नम: श्र्वभ्य: श्र्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नम:
शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च ॥ 
यज्ञोपवितं च वस्त्रं समर्पयामि श्री साम्ब शिवाय नम: । 3. सुगन्धित इत्र, या गन्ध या चन्दन निम्न मंत्रों को पढ़कर चढ़ायें-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । 
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्। 
गन्धं समर्पयामि श्री साम्ब शिवाय नम:।

4. निम्नांकित मंत्रों द्वारा अक्षत (चावल) चढ़ाना चाहिए-
नमः शम्भवाय च मायोभवाय च नमः शंकराय च 
मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च 
अक्षत समर्पयामि श्री साम्ब शिवाय नमः।

5. निम्न मंत्रों से नाना प्रकार के पुष्प आदि चढ़ायें-

नमः पार्याय चावार्याय च नमः प्रतरणाय चोतरणाय च 
नमस्तीर्थ्यांय च कूल्याय च नमः शष्प्याय च फेनयाच च 
पुष्पं समर्पयामि श्री साम्ब शिवाय नमः।

6. विल्वपत्र अर्पण करें-

ॐ नमो विल्मिने च कवचिने च नमो वर्णिणे च 
विरुथिने च नमः श्रुताच च श्रुतसेनाय च नमो 
दुन्दुभ्याय  चाहनन्याय च। 
त्रिगुणं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् ॥ 
त्रिगुणं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् । 
त्रिजन्मपापसंहारं विल्वपत्रं  शिवार्पणम् ॥ 
विल्वपत्रं समर्पयामि श्री साम्ब शिवार नमः ॥

7. धूप-अगरबती आदि समर्पित करें-

ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्केशाय च नमः सहसाक्षाय च 
शतधन्वने च नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो 
मिठुष्टमाय चेपुमते च। धूपं दर्शयामि श्री साम्ब शिवाय नमः।

8. निम्न मंत्र के उच्चारण से दीप दिखायें-

ॐ नमः आशवे चाजिराय च नमः शीध्याय शीभ्याच च 
नमः। उर्म्याय चा वस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च। 
दीपं दर्शयामि श्री साम्ब शिवाय नमः।

9. निम्न मंत्र द्वारा नैवेध अर्पित करें-

ॐ नाभ्या आसीदन्तरीक्ष  शीषर्णो धौ: समवर्तत। 
पदभ्यां भूमिर्दिश: श्रोत्रातथा लोकाँ अकल्पयन॥ 
नैवेधं निवेदयामि श्री साम्ब शिवाय नमः॥

10. शुद्ध जल से आचमन करें-

ॐ नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नमः पूर्वजाय चपरजाज 
च नमो मध्यमाय चापगल्भाय च नमो जघन्याय च बुध्न्याय च। 
आचमनीयं समर्पयामि श्री साम्ब शिवाय नमः।

11. ताम्बूल पूंगीफल समर्पण हेतु मंत्र-

ॐ नमस्त आयुधायानातताय धृण्णवे। 
उभाभ्यामुत ते नमो बाहुभ्यां तव धन्वने। 
ताम्बूल व पूंगीफलं समर्पयामि श्री साम्ब शिवाय नमः।

12. आरती के पूर्व भगवान शिव की अष्टमूर्ति का पूजन हाथ में अक्षत फूल लेकर क्रमवार चढ़ावें।

ये अष्टमूर्तियों के नाम निम्नांकित हैं- (क) ॐ शिर्वाय नमः  (ख) ॐ भवाय नमः  (ग) ॐ रुद्राय नमः (घ) ॐ उग्राय नमः (ङ) ॐ भीमाय नमः (च) ॐ पशुपतये नमः (छ) ॐ महादेवाय नमः (ज) ॐ ईशानाय नमः, ॐ श्री अष्टमूर्तये नमः।

13. तत्पश्चात् कपूर जला कर आरती करें-

जगमग जोत जले मंदिर में बाब नागेश्वर दरबार, जगमग जोत...
नागेश्वर दरबार हो बाबा नागेश्वर दरबार हो बाबा नागेश्वर दरबार, जगमग जोत..  
कार्तिक गणपति संग बिराजे मैया करे दुलार, जगमग जोत...  
जो कोई शरण तिहारो आवै कर दो बड़ा पार, जगमग जोत...
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारं। 
सदा वसन्तं हृदयार्वृन्दे भवं भवानी सहितं नमामि।

14. क्षमा प्रार्थना करें-

पापोअहं पापकर्माअहं पापत्मा पापसंभव:। 
त्राहि माम पार्वतीनाथ सर्व पाप हरो हर:॥ 
कर चरण कृतं वाक् कायजं कर्म वा श्रवण नजनज वा 
मानसं वा अपराधम् विहित अविहितं वा सर्व मेत क्षमस्व   
जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शंभो। तत्पश्चात् पुष्पांजली करे,
गद-गद वाणी से निम्नांकित स्तुति करें- 
करुणा दयालु दु:ख दूर कर शिव शंकर स्वामी, 
एक सहारा भोले नाथ है बाघम्बर वाले,
कोई चढ़ावै गंगा जल धारा कोई चढ़ावे कच्चा दूध हो बाघम्बरवाले

भजन
करुणा दयालु दु:ख दूर कर शिव शंकर स्वामी 
एक सहारा भोले नाथ है बाघम्बर वाले 
हरी-हरी बेलपतियाँ चंदन और चावल और चढ़ाऊँ 
फल-फूल हो बाघम्बर वाले, करुणा दयालु...
भाग घतूरा शिव जी भोग लगतु हैं 
भंगिया पियो भरपूर हो बाघम्बर वाले, करुणा दयालु...
नन्दी गण असवारी हो शिव जी 
हाथ लिये हैं त्रिशूल हो बाघम्बर वाले, करुणा दयालु...
गोरे गोरे अंग मा भस्मी रमाये,
गले सर्पों का सोहे हार हो बाघम्बरवाले, करुणा दयालु...
वामे अंग में गिरिजा विराजे 
गोदि में लियो हैं गणेश हो बाघम्बर वाले, करुणा दयालु...
सेवा न जानूं बाबा पूजा न जानूं 
जानूं बस तेरा एक नाम हो बाघम्बर वाले, करुणा दयालु...

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